नॉर्मल डिलीवरी क्या है
महिला द्वारा प्राकृतिक तरीके से बच्चे को जन्म की प्रक्रिया को नॉर्मल डिलीवरी कहा जाता है। इसका मतलब सिजेरियन डिलीवरी की बजाय बच्चा प्राकृतिक तरीके से महिला की वजाइना से ही बाहर आता है। किसी प्रकार की चिकित्सीय समस्या न होने पर महिलाएं नॉर्मल डिलीवरी के माध्यम से बच्चे को जन्म देने का चयन कर सकती है। बच्चे के जन्म की प्राकृतिक प्रक्रिया बच्चे के स्वास्थ्य और मां को जल्द ठीक करने में मददगार होती है। अगर आप नॉर्मल डिलीवरी करवाना चाहती हैं तो इसको आसान बनाने के लिए कोई शोर्टकट मौजूद नहीं हैं। लेकिन कुछ उपायों को अपनाने से स्वस्थ और नॉर्मल डिलीवरी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
नॉर्मल डिलीवरी के प्रकार
नार्मल डिलीवरी के लिए आपको दो विकल्प दिए जाएंगे –
- प्राकृतिक चाइल्ड बर्थ
- एपीड्यूरल का इस्तेमाल
नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण
स्वस्थ महिला को बिना किसी परेशानी के नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है। आपकी सक्रिय जीवनशैली, सामान्य ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) और भ्रूण की स्थिति (पोजीशन) इसकी ओर संकेत करते हैं कि आपकी नॉर्मल डिलीवरी होने की सम्भावना बहुत अच्छी है। इसके अलावा नॉर्मल डिलीवरी के अन्य लक्षण और संकेतों के बारे में नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।
- गर्भावस्था के 30 वें सप्ताह से गर्भावस्था के 34वें सप्ताह के बीच जब भ्रूण अपने सिर की पोजीशन को बदलकर नीचे की ओर कर ले, तो आप समझ जाएं कि वह जन्म के लिए तैयार है।
- योनि से सफेद, गुलाबी और रक्त की तरह तरल पदार्थ ज्यादा स्त्रावित होने लगता है। सामान्यतः यह स्वस्थ और नॉर्मल प्रेग्नेंसी का ही संकेत होता है।
प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ, डॉ. स्मिता जायसवाल से नॉर्मल डिलीवरी के समाधान के लिए मिले
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